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मुजफ्फरपुर से संजीव कुमार की रिपोर्ट
इन चारो को देख लीजिये ... ये चारों आपकी जमा पूँजी की डकैती ऑनलाइन करते थे और जबतक आपको पता चले तबतक ये चारो आपको कंगाल बना देते थे . इन चारों में एक बैंक कर्मी भी है जो इन बैंकिग फ्रॉड के सरगना को मदद पहुंचाता था . पर जब पुलिस ने एक बैंकिंग फ्रॉड मामले की तहकीकात की तो ये चारो पकडे गए और इनके पास से ग्यारह लाख कैश भी बरामद हो गया . आप हैरान हो जायेंगे की इन चरों ने मिलकर पिछले कुछ दिनों में तीन करोड़ की डकैती बैंक के खाते से कर ली थी .
आप इस डकैती को ऐसे समझिये की किसी भी बैंक में आपका खाता है और आपके खाते से अचानक पैसा निकल जाता है तो मान लीजिये इस गडबडी में बैंक कर्मियों की मिलीभगत है . क्योंकि जब मुजफ्फरपुर में विशेष पुलिस टीम ने बिहार के सबसे बड़े बैंकिंग फ्रॉड यानी ऑनलाइन फ्रॉड का पर्दाफाश किया तो इस बात का खुलासा हुआ की इस जालसाजी में बैंक कर्मी की मिलीभगत से ही बैंक खाते में सेंधमारी की जा रही थी . हालांकि मुजफ्फरपुर पुलिस ने गिरोह के मास्टरमाइंड समेत चार को गिरफ्तार किया जिनमे एक बैंककर्मी भी शामिल हैं .
दरअसल , यह गिरोह सबसे पहले वैसे लोगों को टारगेट करता था, जिनके खाते में पैसा अधिक आता है और लगातार निगरानी भी खाता धारक नहीं करते हों . गिरोह का टारगेट पेंशनधारी, बुजुर्ग, व्यवसायी और नेता ज्यादा होते थे. टारगेट चुनने के बाद गिरोह के लोग फर्जी आधार कार्ड बनाकर बैंककर्मी की मिलीभगत से एकाउंट में दर्ज मोबाइल नंबर को बदल देता है . जैसे ही नंबर बदल जाता है की गिरोह के लोग बैंक का मोबाइल ऐप डाउनलोड कर खाते से पैसे का ट्रांजैक्शन ऑनलाइन कर लेता है . और खाताधारी को पता भी नहीं लगता की उसका एकाउंट खाली हो गया है . गिरफ्तार चारों आरोपियों में सदर थाना क्षेत्र के साइंस कॉलेज स्थित पंजाब नेशनल बैंक के कैशियर कम क्लर्क नितेश कुमार सिंह भी शामिल है.
गिरोह ने पिछले दिनों में करीब 3 करोड़ रुपए का फ्रॉड किया . गिरफ्तारी के वक्त गिरोह के सदस्यों के पास से 11लाख 24 हजार रुपए कैश, 12 मोबाइल, 12 पासबुक, तीन लैपटॉप, एक कार, 20 आधार कार्ड, सात पैन कार्ड और पॉश मशीन बरामद किया गया है. गिरफ्तार अपराधियों में बैंककर्मी के अलावा कुढ़नी पुपरी का मंजय कुमार सिंह, अहियापुर कोल्हुआ पैगम्बरपुर का मोहम्मद जफर इकबाल और वैशाली जिला के पातेपुर लहलादपुर का राजेश कुमार शामिल है. मुजफ्फरपुर के सीनियर एसपी जयंत कान्त ने बताया की पिछले दिनों टाउन थाना में एक केस दर्ज हुआ था. इसमें रिटायर्ड BSNL कर्मी रामदेव राम के खाते से इसी गिरोह ने 22 लाख 40 हजार रुपए उड़ा लिए थे. इसके बाद जांच शुरू हुई. कड़ी से कड़ी जुड़ती गई और एक-एक कर सभी पकड़े गए.
एसएसपी के मुताबिक़ बैंककर्मी और गिरफ्तार मंजय एक ही गांव के रहने वाले हैं. बैंककर्मी नितेश ग्राहकों की पूरी जानकारी मंजय को बताता था. मंजय इसे मोहम्मद जफर को देता था. जफर यह जानकारी राजेश तक पहुंचता था. फिर राजेश फर्जी आधार कार्ड बनाता था, जिस पर आधार संख्या समेत सभी जानकारी असली बैंक ग्राहक की होती थी लेकिन फोटो किसी और का इस्तेमाल होता था . इस फर्जी आधार कार्ड के जरिए ग्राहक के बैंक खाता में रजिस्टर्ड मोबाइल नम्बर दूसरे कम्पनी में पोर्ट करता था. फिर PNB मोबाइल एप डाउनलोड कर उस ग्राहक के खाता से ऑनलाइन ट्रांजैक्शन कर लिया जाता था.
यह बिहार में पहला ऐसा केस है जिसमें बैंक कर्मी के सहयोग से सिम को स्वैप कर इतना बड़ा फ्रॉड किया जा रहा था. इस गिरोह ने रिटायर्ड BSNL कर्मी के अलावा छपरा DM ऑफिस के रिटायर्ड कर्मी, सीतामढ़ी के रिटायर्ड SDO, रिटायर्ड महिला प्रोफेसर समेत कई ग्राहकों को निशाना बनाया था . मुजफ्फरपुर ही नहीं सीतामढ़ी, मोतिहारी, छपरा, दरभंगा और समस्तीपुर समेत कई जिलों में इस गिरोह का नेटवर्क फैला है जिसके पीछे अब पुलिस लग गयी है.
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